(चित्र लेखन)
चक्रव्यूह का घेरा
राग अलापें गर्दभ सारे, ये सिंहासन मेरा है।
ये दे दूँगा वो दे दूँगा, नित नव चित्र उकेरा है।।
फेर रहे जो माला समझो, ये वोटों का फेरा है।
झाँसे में मत आना यारों, चक्रव्यूह का घेरा है।।
24/5/24 ~अजय 'अजेय'।
चक्रव्यूह का घेरा
राग अलापें गर्दभ सारे, ये सिंहासन मेरा है।
ये दे दूँगा वो दे दूँगा, नित नव चित्र उकेरा है।।
फेर रहे जो माला समझो, ये वोटों का फेरा है।
झाँसे में मत आना यारों, चक्रव्यूह का घेरा है।।
24/5/24 ~अजय 'अजेय'।
नेता जी : विदेशी बोल
(विधाता छंद)
कभी कन्याकुमारी तो, कभी
आसाम जाते हैं।
दुकानें भी मुहब्बत की, गली में वो लगाते हैं।
पहुँचते ही विदेशों में, मगर घर को भुलाते हैं।
भरे मुख से बुराई देश की गा कर सुनाते हैं।।
न जाने कौन सी नजरों से, नेता वो कहाते हैं।
पड़ोसी के यहाँ जाकर, खयाली जो पकाते हैं।
नहीं थकते झुकाने में, घरेलू देश की अस्मत।
घरों से दूर जाकर, झूठ के आँसू बहाते हैं।।
25/9/24 ~अजय 'अजेय'।
मतदान आ गया
(शैल छंद)
आ गया।
आज है, छा गया।
है नशा, है नहीं, जो नया।
वोट की बात है नोट की है दया।
राम हो नाम हो काम के जोर पर हो जया।
15/4/24 ~अजय 'अजेय'।
कोहरे का कोहराम
सर्दी ने सिरदर्दी दे दी,
कोहरे ने कोहराम,
घर से न तुम बाहर निकलो,
वर्ना धरे जुखाम।
बचना घोर कहर से तो,
फिर सुनलो यह पैगाम,
ओढ़ि चदरिया घर में बैठो,
बोलो जय श्रीराम....
बोलो राम राम राम,
बोलो राम राम राम,
बोलो राम राम राम,
जै सियाराम जै जै सियाराम।।
13/1/24 ~अजय 'अजेय'।।
छद्म खबरें बनाम साजिशें
छद्म खबरों से पटे अखबार साथियों,
साजिशों का गर्म है बाजार साथियों।
बाँटकर हमको मिटाना चाहते हैं लोग,
छाँट लो गुल में छिपे हैं खार साथियों।।
रात दिन भरमा रहे वे वोट की खातिर,
लड्डुओं के थाल थामे चोट की खातिर।
देशहित को रख दिया है ताक के ऊपर,
खेल सारा खेलते कुछ नोट की खातिर।।
जाति गणना चाहते हैं किस इरादे से ?
खेल यह कठपुतलियों का है 'पियादे' से।
कुंभकरणी नींद से जगना जरूरी अब,
एकजुट हो कर न हारें गैर-जादे से।।
25/8/24 ~अजय 'अजेय'।
करगिल विजय दिवस पर...
(कुण्डलिया छंद)
आ धमके नापाक अरि, करि करगिल में घात।
उन्निस सौ निन्यानबे, बात हुई यह ज्ञात।।
बात हुई यह ज्ञात, इरादे नेक न उनके।
छेंके आ कर बँकर, छल से ताने बुनके।।
भागे पूँछ दबाय, गिरे जब गोले जमके।
धर दोज़ख की राह, गये जो थे आ धमके।।
26/7/23 ~अजय 'अजेय'।
सफल भारतीय अभियान : तीसरा चंद्रयान
(चंद्रयान-3)
आज देश ने लिखी चाँद पर,
स्वर्णिम एक इबारत है।
"मामा" के कंधे पर चढ़ कर,
खेल रहा नव-भारत है।।
"सोमनाथ" के निर्देशन में,
भारत ने इतिहास रचा।
चंद्रयान-3 के लैंडर,
"विक्रम" ने पद चाँद रखा।।
हर्ष लहर में झूम उठा है,
भारत का कोना कोना।
नगर-नगर में धूम मची है,
बँटे मिठाई का दोना।।
सफल सिद्ध वैज्ञानिक अपने,
चाँद तिरंगा गाड़ दिया।
विश्व-पटल पर स्वाभिमान संग,
भारत को जय-बाण दिया।।
निकल चुका रोवर "प्रज्ञानी",
अपना खेल दिखाने को।
विचरेगा चंदा-तल पर वह,
जानकारियाँ लाने को।।
चौदह दिन के पखवाड़े भर,
घूमेगा यह विज्ञानी।
संभव कि वह तलाश ले,
प्राण-वायु, तल पर पानी।।
अंत नहीं, आरंभ हुआ यह,
दबे खजाने पाने का।
यह सुरंग का दरवाजा है,
बहुत बचा है आने का।।
23/8/23 ~अजय 'अजेय'।
मामा के घर भान्जा
(मनोरम छंद)
साँझ को जब चाँद आया,
चाँदनी पर तिलमिलाया।
लाल पीला कह रहा वह,
बोल किसको घर बुलाया।।
चाँदनी ने देख माया,
नेह से उसको बताया।
देख लो खुद ही बुलाकर,
भान्जा ननिहाल आया।।
*ज्ञान 'अवनी' ने मँगाया,*
यान पर है बैठ आया।
नाम 'विक्रम' कह रहा है,
*"भारती" का पूत पाया।।*
*चाँद मामा मुस्कुराया,*
चाँदनी को उर लगाया।
भान्जे को काँध पर ले,
घूम सारा घर दिखाया।।
1/9/23 ~अजय 'अजेय'।
कोहरे का कोहराम
सर्दी ने सिरदर्दी दे दी,
कोहरे ने कोहराम,
घर से न तुम बाहर निकलो,
वर्ना धरे जुखाम।
बचना घोर कहर से तो,
फिर सुनलो यह पैगाम,
ओढ़ि चदरिया घर में बैठो,
बोलो जय श्रीराम....
बोलो राम राम राम,
बोलो राम राम राम,
बोलो राम राम राम,
जै सियाराम जै जै सियाराम।।
13/1/24 ~अजय 'अजेय'।।
सौ पर भारी एक
(कुण्डलिया छंद)
कोशिश में सारे लगे, रोक न पायें एक।
सौ पर भारी एक है, लिये इरादे नेक।।
लिये इरादे नेक, बढ़े वह गज के जैसे।
भौंकत चलते श्वान, दूर से डरते वैसे।।
कहें अजय कविराय, रोज पीते हैं वो विष।
पाना मुश्किल पार, करें कितनी भी कोशिश।।
~अजय 'अजेय'।
हे मतदाता
(रास छंद)
एक तार से गुँथे हुये तुम रहो जरा।
संगी-साथी कथा जीत की कहो जरा।।
जीव भयानक इस दरिया के वासी हैं।
धार सरित की नाप तोल कर बहो जरा।।
राजनीति के गलियारे ये जंगल हैं।
इस में पग पग पर आयोजित दंगल हैं।।
नीति-हीन दल और अनगिनत निर्दल हैं।
सोम गुरू रवि आज, वही कल मंगल हैं।।
नींव बिना ही चलें उठाने महल यहाँ।
इनकी माटी उनकी टाटी जुटे कहाँ।।
साड़ी टोपी सूट-बूट सब वेष अलग।
बिखरीं गठबंधन की ईँटें जहाँ-तहाँ।।
15/3/24 ~अजय 'अजेय'।
(विधाता छंद)