(आख्यान छंद)
सड़क के नियम (देश बनाम विदेश)
हम आये हैं विदेश, देश याद आ गया।
वो गाड़ियाँ, वो भीड़, वो निनाद आ गया।
वह कर्ण भेदी चीख व पुकार हॉर्न की।
सहयात्रियों से जूझ का विवाद आ गया।।
उल्टे हैं चलन-राह, बाँयें नहीं जाओ।
रुको जरूर मोड़ पर, आगे नहीं आओ।
दूरियाँ कायम रहें, अपनी भी लेन में।
हक पैदल के पहले, मत जल्दी मचाओ।।
30/5/23 अजय 'अजेय'।
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