Thursday 28 November 2019

घनाक्षरी छंद - तमाशा-ए-महाराष्ट्र

(घनाक्षरी छंद में एक प्रयास)
*तमाशा-ए-महाराष्ट्र*

खतम उठा-पटक हुई महाराष्ट्र में,
कृष्ण बन ऊधो जी को कुरसी थमाई है।
देवइन्द्र-कोशियारी जी की होशियारी वाली,
जुगति-जुगाड़ कोई काम नहीं आयी है।
नट-बोल्ट कस कर तीन चक्के फंँस कर,
भेद भाव भूल सरकार बनवाई है।
सचल रहेगी ये आघाड़ी पूरे पाँच साल,
या कि इस गाड़ी ने उमर लघु पाई है।
२८/११/१९                       ~~~अजय 'अजेय'।

Monday 25 November 2019

मधु छंद - वायु विषैली

"मधु" छंद में एक प्रयास :-

वायु विषैल भई इंह भारी।
साँझ सबेर भखैं नर नारी।
दोष कहाँ इसमें सरकारी।
मानत नाहिं, जराइ पुआरी।

रोय रहे शहरी घर-बारी।
पाथर ईंट पिसे धुंइधारी।
साँस न खींच सकैं अब सारी।
खाँसत-ठाँसत बढै़ बिमारी।
25/11/19  ~अजय 'अजेय'।

चित्र लेखन (मधुमालती छंद) - रंगीन बिस्तर


चित्र लेखन
(मधुमालती छंद)

रंगीन बिस्तर लग गया।
है गाँव में उत्सव नया।
महमान आयेंगे नये।
लो गाँव सारा सज गया।।
२३/११/१९  ~अजय 'अजेय'।

*विधाता छंद* में एक प्रयास:- 

बिछाकर चादरें तकिया,लुभाने की तयारी है।
बिगड़ती बात बनने की, सभी को इंतजारी है।।
लगे जो देर तो बढ़ने लगी है, मन की आशंका।
बने सरकार या फिर से, वही बेरोजगारी है।।

२४/११/१९                    ~अजय 'अजेय'।