Monday 19 July 2021

गाँव में आपसी सहभागिता

चित्र-लेखन
(घनाक्षरी छंद)
*_गाँव की सहभागिता_*

खेत-खलिहान हल बैल व किसान संग,
खुशी भरपूर कभी वो भी तो जमाना था।

घर घर पशु-धन मेहनत वाले तन,
गोबर के खाद वाला देसी कारखाना था।

बसता था भाई-चारा गाँव में ही ढेर सारा,
एक दूसरे के घर खूब आना जाना था।

दु:ख-सुख सब कुछ मिल जुल बाँटते थे,
एक दूसरे का बोझ मिल के उठाना था।
19/7/21      ~अजय 'अजेय'।