चित्र - लेखन
(कुण्डलिया छंद)
मतलबपुर
बेमतलब बातें करें, मतलबपुर के लोग।
मतलब न हो पूर्ण तो, करने लगें वियोग।
करने लगें वियोग, बनें बेपेंदी लोटा।
खायें जिसकी थाल, उसे बतलायें खोटा।
कह अजेय कविराय, न हमको हैं वे भाते।
बे सिर-पैर बनायें जो बेमतलब बातें।।
22/4/23 ~अजय 'अजेय'।
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