Saturday 25 November 2023

पटाखे (भुजंगी छंद) पटाखे बजाना कहाँ की कला, जहाँ भी बजाया वहाँ जलजला, धमाका हुआ पर हमें का मिला? धुएँ का गुबारा हवा में घुला। घटा था प्रदूषण जो* बरसात से, वहीं लौट आया है* आघात से, गले की खराशें उभरने लगीं, सुधरती हुई साँस चढ़ने लगीं। समारोह दीपीय था ये भला, सजाते कतारों में* थे हम जला, उजाला चहूँ ओर होता खिला, न कोई धुआँ था न कोई गिला। 14/11/23 ~अजय 'अजेय'।