चित्र लेखन
*खेल-तमाशा*
(महाश्रृंगार छंद)
हिम्मती बाला करती खेल,
सामने इसके लड़के फेल,
समन्वय का है अद्भुत मेल,
संतुलन की यह रस्सी रेल।।
व्यक्ति खास हो या हो आम,
मेहनत से ही बनता काम,
बिन मेहनत के मिले न धाम,
मेहनत से जीवन आराम।।
खोले हाथ जो माँगें भीख,
बाला उन्हें सिखाती सीख,
मेहनत की ही राह सटीक,
मेहनत की तुम धारो लीक।।
13/2/25 ~अजय 'अजेय'।
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