त्यौहारी भाईचारा
(निश्चल छंद)
भाईचारे का भइया जी, गाढ़ा रंग।
दिखलाओ ऐसे दुनिया रह, जाए दंग।।
मजहबियों अब मत छेड़ो तुम, विषधर राग।
आओ मिलजुल कर सब खेलें, गायें फाग।।
पाक अगर ईदी सेवई व, है इफ्तार।
तो फिर होली के रंगों से, कैसा खार।।
बने नहीं अब पर्व हमारे, जंगी गंज।
इक दूजे का मान रखें हम, ना हो रंज।।
13/3/25 ~अजय 'अजेय'।
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