Saturday 27 April 2019

आ गये चुनाव

आ गये चुनाव...

भाग रहे गाँव-गांँव, नेताजी चुनाव में,
चढ़ हेलिकप्टर, कभी रेल कभी नाव में,
भूले सब सुख, साँस लेते नहीं छाँव में,
दुःख नहीं देते, कुछ छाले पड़े पाँव में।

कभी गोल टोपी,कभी क्रॉस झलकाते हैं,
मीठी-मीठी गोलियों से मन ललचाते हैं,
सच नहीं हो सकें, वो सपने दिखाते हैं,
गिनती न जाने, उसे गणित पढ़ाते हैं।

राम को न मानें, हनुमान गढ़ी चढ़ते,
रूठे को मनाने, कैलाश तक बढ़ते,
अलिफ़ न जाने, तो भी पाँच बार पढ़ते,
अपने भी इल्ज़ाम, दूसरों पे मढ़ते।

हर कोई इनमें है, कुर्सी की ताक में,
खाते खुल जायें, स्विस, थाई- बैंकॉक में,
कोई धाये अमरीका, कोई चीन-पाक में,
जोड़-तोड़ हो रहे हैं, आँख डाल आँख में।

रहना है तुम्हें-हमें साथ साथ गांव में,
बहक न जाना किसी, भेद भरे भाव में,
फँस मत जाना, इन पेंच वाले दांँव में,
समझ से कर लेना, भेद 'गीत' 'काँव' में।

आ गये चुनाव तब, दावतें हैं गाँव में
मलहम पोत रहे, छोटे-छोटे घाव में,
याद करो जिये हम, कितने अभाव में,
देश-हित सर्वोपरि, रखना चुनाव में।

27 अप्रैल 2019 ~~~ अजय 'अजेय'।