(घनाक्षरी छंद)
कर्मफल
बुरे हों करम तो बुरा ही फल मिल पाये।
राम या रहीम चाहे नर हों या नारी हो।।
कोई न हो भेद भाव चले नहीं पेंच दाव।
दोष के खिलाफ जब चलती कटारी हो।।
देर न अंधेर न ही कोई हेरफेर चले।
सुनवाई चले जैसे छूटती सवारी हो।।
भाई न भतीजा मिले किये का नतीजा बस।
हिले न हिलाये न्याय-बाट अस भारी हो।।
01/05/23 ~अजय 'अजेय'।
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