Tuesday 29 August 2023

किस्मत के मारे

(सरसी छंद) किस्मत के मारे किस्मत के मारे कुछ बालक, ढोते बोझ अनेक। जीवन इतना सरल नहीं है, कहते बुद्धि विवेक।। कौन न चाहे लिखना-पढ़ना, खेल- कूद अभिषेक। पेट भरा हो तब ही भातीं, ज्ञान-सलाहें नेक।। 8/4/23 ~अजय 'अजेय'।

Thursday 24 August 2023

चंद्रयान-3 : सफल अभियान

सफल भारतीय अभियान : तीसरा चंद्रयान (चंद्रयान-3) आज देश ने लिखी चाँद पर, स्वर्णिम एक इबारत है। "मामा" के कंधे पर चढ़ कर, खेल रहा नव-भारत है।। "सोमनाथ" के निर्देशन में, भारत ने इतिहास रचा। चंद्रयान-3 के लैंडर, "विक्रम" ने पद चाँद रखा।। हर्ष लहर में झूम उठा है, भारत का कोना कोना। नगर-नगर में धूम मची है, बँटे मिठाई का दोना।। सफल सिद्ध वैज्ञानिक अपने, चाँद तिरंगा गाड़ दिया। विश्व-पटल पर स्वाभिमान संग, भारत को जय-बाण दिया।। निकल चुका रोवर "प्रज्ञानी", अपना खेल दिखाने को। विचरेगा चंदा-तल पर वह, जानकारियाँ लाने को।। चौदह दिन के पखवाड़े भर, घूमेगा यह विज्ञानी। संभव कि वह तलाश ले, प्राण-वायु, तल पर पानी।। अंत नहीं, आरंभ हुआ यह, दबे खजाने पाने का। यह सुरंग का दरवाजा है, बहुत बचा है आने का।। 23/8/23 ~अजय 'अजेय'।

Thursday 17 August 2023

चाटुकार

चित्र-लेखन (चौपाई छंद)
चाटुकार कहने को सब नामचीन हैं। नीतिहीन अरु वसनहीन हैं।। छिलके हैं इनमें नहिं गूदे। काज करें सब आँखें मूँदे। दिखने को आतुर ये अव्वल। बेच चरित नित चाटें चप्पल।। जिनके आगे नत हैं गामा। चाटुकार इनका है नामा।। 14/4/23 ~अजय 'अजेय'।

बुरे कर्म का नतीजा

(लावणी छंद) बुरे कर्म का नतीजा दुख तो सबको ही होता है, जाता जब अपना कोई। माता कौन हुई है ऐसी, पूत शोक में ना रोई।। बच्चों का भी फ़र्ज बने यह, ममता का सम्मान करें। और किसी भी मात-पिता के, बच्चों के मत प्राण हरें।। सबके बच्चे दिल के टुकड़े, सबको होता नेह तभी। जाये कोई नौनिहाल है, दिल को होती पीर जभी।। मत सिखलाओ खेल खेल में, हिंसा वाले पाठ कभी। जीवन तो अनमोल सभी का, राजा हों या रंक सभी।। खुद को सवा सेर मत बूझो, इस जंगल में शेर बड़े। कदम कदम पर राहें तकते, पग-पग पर हैं ढेर खड़े।। रहते वक्त चेत लो राहें, रहो न मद में यार अड़े। अच्छे अच्छों के मद टूटे, आहों की जब मार पड़े। 17/4/23 ~अजय 'अजेय'।

चौपाई छंद - सत्ता का उपयोग

(चौपाई छंद)
(शिवराम जी के निम्नलिखित कटाक्ष के संदर्भ में)

[चौपाई छंद में एक गजल सेवा में।। अमृत काल बड़ा सुखदाई। बोलें कुछ नेता ये भाई।। जबसे सत्ता ये हथियाई। अपने मुख से करें बढ़ाई।। साधु और रढुआ भी इसमें। करवाते ये रोज लड़ाई।। जनता बैठी देख रही है। बढ़ा रहे नेता मँहगाई।। देश प्रेम की इन्हें न चिंता। नित्य खा रहे स्वयं मलाई।। चंद वोट की खातिर नेता। लड़वाते ये भाई-भाई ।। कह दें शांति सत्य कुछ बातें। पहुंचा दें घर सी बी आई।। शिवराम शांती।।]

सत्ता का उपयोग

आपो बच के रहना भाई। आती होगी सी बी आई।।
हाथ में जिसके सत्ता आई। कौन न करता स्वंय बड़ाई।।
कइयों ने थी भैंस खोजाई। जब बैठे कुर्सी में भाई।।
उत्सव मनै शहर सैफाई। जब *भइया* ने सत्ता पाई।।
अपनों से कॉपी जँचवायी। टोटल के नंबर बढ़वाई।।
अब आती है आज रुलाई। भूल गए अपनी चतुराई।।

20/4/23                          ~अजय 'अजेय'।

Wednesday 16 August 2023

चौपाई छंद

(चौपाई छंद)

जब जुबान बन चले कटारी।
तब तब होवे अनहित भारी।।
आपस में ही झगरि परैं सब।
काका चाचा भइया नारी।।
भूलि परत सब रिश्ते नाते।
अपनी बोली में चिल्लाते।।
जब आती कुर्सी की बारी। 
एक साथ सब हाथ उठाते।।
मैं मैं मैं मैं सारे बोलें।
इक दूजे के चिट्ठे खोलें।।
गठबंधन की गाँठें खुलकर।
नैया अपनी स्वयं डुबो लें।।
कैसे करै भरोसा जनता।
जितने मुख उतने ही हंता।।
*मिजाजपुर्सी नभ ऊपर है।*
*नजर सभी की कुर्सी पर है।।*
जुड़ती नहीं गाँठ बंधन की।
बाधित दृष्टि हुई अंधन की।।
भइया चले डगर लंदन की।
दीदी घिसे गोट चंदन की।।

21/4/23 ~अजय 'अजेय'।

मतलबपुर

चित्र - लेखन
(कुण्डलिया छंद) मतलबपुर बेमतलब बातें करें, मतलबपुर के लोग। मतलब न हो पूर्ण तो, करने लगें वियोग। करने लगें वियोग, बनें बेपेंदी लोटा। खायें जिसकी थाल, उसे बतलायें खोटा। कह अजेय कविराय, न हमको हैं वे भाते। बे सिर-पैर बनायें जो बेमतलब बातें।। 22/4/23 ~अजय 'अजेय'।

पारस्परिक सहयोग

(चित्र-लेखन- विधाता छंद)
पारस्परिक सहयोग खटे तपती दुपहरी में,चलाता रात दिन रिक्शा। बड़ा खुद्दार है बाबा,न माँगे है कहीं भिक्षा।। सवारी भी कहाँ है कम,उढ़ाये है उसे छाता। सफ़र मुश्किल मगर फिर भी,बड़ा आसान हो जाता।। 30/4/23 अजय 'अजेय'।

कर्मफल

(घनाक्षरी छंद) कर्मफल बुरे हों करम तो बुरा ही फल मिल पाये। राम या रहीम चाहे नर हों या नारी हो।। कोई न हो भेद भाव चले नहीं पेंच दाव। दोष के खिलाफ जब चलती कटारी हो।। देर न अंधेर न ही कोई हेरफेर चले। सुनवाई चले जैसे छूटती सवारी हो।। भाई न भतीजा मिले किये का नतीजा बस। हिले न हिलाये न्याय-बाट अस भारी हो।। 01/05/23 ~अजय 'अजेय'।

बाहुबली

(पीयूष निर्झर छंद) बाहुबली गीत अब उनके पुराने हो चले हैं। साज के सुर दिल दुखाने को चले हैं। कुछ नहीं भाता जमाने में उन्हें अब। उम्र भर को जेलखाने वो चले हैं।। 7/6/23 ~अजय 'अजेय'।

सड़क के नियम - देश बनाम विदेश

(आख्यान छंद) सड़क के नियम (देश बनाम विदेश) हम आये हैं विदेश, देश याद आ गया। वो गाड़ियाँ, वो भीड़, वो निनाद आ गया। वह कर्ण भेदी चीख व पुकार हॉर्न की। सहयात्रियों से जूझ का विवाद आ गया।। उल्टे हैं चलन-राह, बाँयें नहीं जाओ। रुको जरूर मोड़ पर, आगे नहीं आओ। दूरियाँ कायम रहें, अपनी भी लेन में। हक पैदल के पहले, मत जल्दी मचाओ।। 30/5/23 अजय 'अजेय'।

बाबा - पोता

(पीयूष निर्झर छंद)
बाबा - पोता रोकता हूँ लाख पर रुकता नहीं है। भागता रहता कभी थकता नहीं है।। खेलता हूँ मैं उसी सा बाल बन कर। चोट ना लग जाए थामूँ ढाल बन कर।। लड़खड़ाते हैं कदम उसके जहाँ पर। दौड़ कर मैं हूँ पहुँच जाता वहाँ पर।। थपकियाँ दे कर सुलाऊँ तो न सोता। माँ दिखे तो भाग जाता छोड़ पोता।। 4/6/23 ~अजय 'अजेय'।

कारगिल विजय दिवस (2023) पर

करगिल विजय दिवस पर... (कुण्डलिया छंद) आ धमके नापाक अरि, कर करगिल में घात। उन्निस सौ निन्यानबे, बात हुई यह ज्ञात।। बात हुई यह ज्ञात, इरादे नेक न उनके। छेंके आ कर बँकर, छल से ताने बुनके।। भागे पूँछ दबाय, गिरे जब गोले जमके। धर दोज़ख की राह, गये जो थे आ धमके।। 26/7/23 ~अजय 'अजेय'।

आम का बागीचा

(चित्र लेखन)
आम का बागीचा हैं लद गये ये पेड़ सब सिंदूर से लगा। है बागबाँ भी खुश हुआ मन आस है जगा। बुनते हुये कुछ खाब दिल में हूक सी उठी। यदि आ गयी आँधी कहीं तो जाए*गा ठगा।। 9/6/23 ~अजय 'अजेय'।

बिरहन

(हरिणी छंद) बिरहन सावन में नयना बरसे। साजन खातिर को तरसे।। मौसम सौतन आनि डसे। बालम जाय बिदेस बसे।। 14/6/23 ~अजय 'अजेय'।

सहज बालपन

(चित्र-लेखन - दोहे)
सहज बालपन दो पहिये की साइकिल, खुशियों का सामान। तिस पर हर्षित बालपन, थामे हाथ विमान।। तन पर नहीं कमीज है, और न है बनियान। लेकिन है मन की खुशी, सातवें आसमान।। 23/6/23 ~अजय 'अजेय'।

चौपाई छंद विधान

चौपाई छंद लय मय हो चौपाई गाना। चारों पग जब होय समाना।। समझ न आवे यदि चौपाई। रामचरित लो हाथ उठाई।। मुख तक भरा छंद का झोला। 'मानस' में है दोहा रोला।। बाबा तुलसीदास सँवारा। पावन है यह ग्रंथ हमारा।। 6/7/23 ~अजय 'अजेय'।

सहृदय पुलिस वाले

(चित्र लेखन-कुण्डलिया छंद) सहृदय पुलिस वाले सेवा करते पुलिस की, मन से भाव जगाय। जलता पाँव गरीब लख, पग पर लिया चढ़ाय।। पग पर लिया चढ़ाय, रोक दी आती गाड़ी। पार करायी सड़क, कमाई सही दिहाड़ी।। पाया आशिर्वाद, निभाईं सेवा शर्तें। कई पुलिस के लोग, लगा मन सेवा करते।। 1/7/23 अजय 'अजेय'।

बुढ़ापा

चित्र-लेखन (घनाक्षरी छंद) चित्र-लेखन (घनाक्षरी छंद)
बुढ़ापा बिखरे हैं केश तन में न बल शेष पर, जीने की ललक कभी साथ नहीं छोड़ती। मन में जलन नहीं तन पे वसन नहीं,न पर आँख आशाओं की डोर नहीं तोड़ती। राशन की बँटनी में सबसे हैं आगे बाबा, बहू घर बैठ ऐंठ के चाभी मरोड़ती, बैठे बैठे घर खाली तोड़ रहे रोटियों को, कर्कश सुर पति से है बात जोड़ती। 23/9/22 ~अजय 'अजेय'।

Saturday 12 August 2023

रोजगार

चित्र-लेखन (मदिरा सवैया छंद) रोजगार
भार उठावन हो सिर या फिर गोबर हो कर-पाथन को। भोजन खातिर राह लखैं कछु काम मिले जन हाथन को।। राज किसी दल के बल हो पर साथ बराबर शासन हो। भूख पियासन जान तजें उससे पहिले घर राशन हो।। 22/9/22 ~अजय 'अजेय'।

छंद विधान : निश्चल छंद

निश्चल छंद (छंद विधान) कल की खातिर मिला आज जब छंद विधान। निश्चल में लिख डालो साथी अपनी बान।। याद रहे यति षोडश सप्तम पायें मान। तेइस मात्रिक निश्चल को तुम लो पहचान।। 3/9/22 ~अजय 'अजेय'।

मेरे (फौजी) सनम

(चित्र लेखन) मेरे (फौजी) सनम बैठ माँ की गोद में भोजन किया करते सनम। प्रेम हमसे फोन पर ही कर लिया करते सनम। देश को आगे सदा रख कर रहे सेवा अहम्। मैं हृदय मुमताज उनकी, ताज हैं सर के सनम। 03/9/22 ~अजय 'अजेय'।

कारगिल दिवस : 2022

करगिल दिवस (चौपई छंद) हो नवाज़ या हो इमरान। जारी झूठे रोज बयान।। काँटे भरा पड़ोसी जान। धोखे करता पाकिस्तान।। हर कीमत पर ध्वज का मान। रखते हैं सैनिक, श्रीमान। वीरों ने ले, दे कर जान। करगिल को दी है पहचान।। भारत मेरा देश महान। सैनिक भारत की हैं शान।। सदा खड़े जो सीना तान। करें सभी इनका सम्मान।। 26/7/22 ~अजय 'अजेय'।

सबका साथ : सबका विकास

सबका साथ : सबका विकास (चौपई छंद) पंजा कहीं न फटके पास। बिखरा दीखे तिनका घास।। परिजन ही जब खासम-खास। कैसे सबका होय विकास।। कहते खरी खरी हैं बात। देते हैं जो सबका साथ।। उतरे जैसे ही कोविन्द। मुर्मू ने पायी सौगात।। पूरण होती सबकी आस। सब मिलकर जब करें प्रयास।। घोर विरोधी बने मुरीद। मन की बातें आती रास।। 25/7/22 ~अजय 'अजेय'।

सूखा - ग्रेटर नोएडा

(चौपाई छंद) ग्रेटर नोएडा:सूखा-सूखा कहीं बहें सरिता तूफ़ानी, कहीं न एक बूँद भी पानी। कहीं बही छत कहीं पलानी¹, कहीं डूबते नाना-नानी।। सेक्टर चाई जल को तरसे, बीटा गामा पानी-पानी। हमने कैसी नादानी की, करें वरुण हमसे बइमानी।। 21/7/22 ~अजय 'अजेय'।