मेरे जानम
(विष्णुपद छंद)
बड़े सुरीले बड़े रसीले, हैं मेरे जानम।
उनके गाने से सजती हैं, गीतों की सरगम।।
उनको सुनने को कानों की, आस तरसती है।
होंठों से उनके हर पल रस धार बरसती है।।
3/3/25 ~अजय 'अजेय'।
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