Thursday, 17 August 2023
बुरे कर्म का नतीजा
(लावणी छंद)
बुरे कर्म का नतीजा
दुख तो सबको ही होता है, जाता जब अपना कोई।
माता कौन हुई है ऐसी, पूत शोक में ना रोई।।
बच्चों का भी फ़र्ज बने यह, ममता का सम्मान करें।
और किसी भी मात-पिता के, बच्चों के मत प्राण हरें।।
सबके बच्चे दिल के टुकड़े, सबको होता नेह तभी।
जाये कोई नौनिहाल है, दिल को होती पीर जभी।।
मत सिखलाओ खेल खेल में, हिंसा वाले पाठ कभी।
जीवन तो अनमोल सभी का, राजा हों या रंक सभी।।
खुद को सवा सेर मत बूझो, इस जंगल में शेर बड़े।
कदम कदम पर राहें तकते, पग-पग पर हैं ढेर खड़े।।
रहते वक्त चेत लो राहें, रहो न मद में यार अड़े।
अच्छे अच्छों के मद टूटे, आहों की जब मार पड़े।
17/4/23 ~अजय 'अजेय'।
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