Sunday, 31 March 2024

सौ पर भारी एक


सौ पर भारी एक

(कुण्डलिया छंद)


कोशिश में सारे लगे, रोक न पायें एक।

सौ पर भारी एक है, लिये इरादे नेक।।

लिये इरादे नेक, बढ़े वह गज के जैसे।

भौंकत चलते श्वान, दूर से डरते वैसे।।

कहें अजय कविराय, रोज पीते हैं वो विष।

पाना मुश्किल पार, करें कितनी भी कोशिश।।

                                   ~अजय 'अजेय'।

No comments:

Post a Comment