Saturday 11 January 2020

हिन्दी हमारी

विश्व हिन्दी दिवस-१० जनवरी पर मेरी रचना राष्ट्रभाषा को समर्पित

हिन्दी हमारी...

जुड़े नहीं जो तार वही, मैं आज मिलाने आया हूँ।

अब तक नहीं पढ़े जो तुम, अखबार पढ़ाने आया हूँ।।

"दिवस विश्व-हिन्दी" का मैं, त्यौहार मनाने आया हूँ।

चलो मातृभाषा का मैं रखवार बनाने आया हूँ।।

अंग्रेजी बस गिट-पिट गिट-पिट,  हिन्दी घर की भाषा है।

घरवाले ही भूले इसको, कैसा खेल-तमाशा है।।

किसको दें हम दोष यहाँ पर, गहरी बढ़ी निराशा है।

लेकिन कैसे हार मान लूँ, मुझको अब भी आशा है।।

योगदान यदि करो जरा तुम,परचम ये लहरायेगी।

पाँच मात्रा वालों को यह, पल में धूल चटायेगी।।

मातृभूमि में माता-भाषा जब दुलार पा जायेगी।

है सशक्त यह भाषा मेरी, "विश्व-भाष" बन जायेगी।।

१०/०१/२०                                ~अजय 'अजेय'।

Wednesday 8 January 2020

गीतिका छंद

गीतिका छंद
१. जै जवान जै किसान...

पूस की शीतल हवा से, हाड़ हिलने लग गये।
बर्फ की चादर बिछी, लीहाफ़ सिलने लग गये।।
जै किसानों जै जवानों, तुम डटे   जो काम पर।
आमजन से आपको आदाब मिलने लग गये।।
८/१/२०                                            ~अजय 'अजेय'।


२. विद्या संस्थान के हंगामे...

पाट कर के खाइयाँ गर, साथ दो तो राह है।
हाथ हाथों में रहें ये,आम जन की चाह है।।
बात सब ने आप की थी, आपको कहने दिया।
लाठियों ने कब किसी को, चैन से रहने दिया।

८/१/२०                                      ~~~अजय 'अजेय'।
३. जे एन यू के शिक्षार्थी से...

याद है जब तुम गये थे गाँव घर को छोड़कर।
छोड़कर के ज्ञान राहें खो गये किस मोड़ पर।।
भूल मत जाना पिता जी के सजाये खाब को।
फीस के पैसे भिजाए हड्डियों कोै तोड़कर।।

८/१/२०                           ~अजय 'अजेय'।

लावणी छंद

शिक्षा का राजनीतिकरण...
लावणी छंद

शिक्षा का राजनीतिकरण

विद्यालय में पढ़ने आये, या हंगामा करने को।

तख्ती लेकर निकल पड़े हो, सारे गा मा करने को।।

माता और पिता ने भेजा, तुमको विद्या पाने को।

तुम लक्ष्यों को दरकिनार कर, निकलें ड्रामा करने को।।

कोई कर में डण्डा थामे, चेहरा ढक कर निकला है।

मार कुटाई मची हुई है, जाने कैसा घपला है।।

किसने किसका हाथ मरोड़ा, कौन बन गया अबला है।

किसने किसके सर को फोड़ा, राजनीति का मसला है।।
७/१/२०                                    ~~~अजय 'अजेय'।