Wednesday 16 August 2023

बाबा - पोता

(पीयूष निर्झर छंद)
बाबा - पोता रोकता हूँ लाख पर रुकता नहीं है। भागता रहता कभी थकता नहीं है।। खेलता हूँ मैं उसी सा बाल बन कर। चोट ना लग जाए थामूँ ढाल बन कर।। लड़खड़ाते हैं कदम उसके जहाँ पर। दौड़ कर मैं हूँ पहुँच जाता वहाँ पर।। थपकियाँ दे कर सुलाऊँ तो न सोता। माँ दिखे तो भाग जाता छोड़ पोता।। 4/6/23 ~अजय 'अजेय'।

No comments:

Post a Comment