सार छंद...
(१) हैपी क्रिसमस
मदिरा की मस्ती में खोकर, डोल रहे मतवारे।
हैपी होकर हैपी *क्रिसमस, बोल रहे हैं सारे।।
केक बिचारा पूछ रहा है, मेरी ग़लती का रे ?
खुद ख़ुश होकर काट देत हो, मेरी गरदन वा रे !
(२)बे बात की बात
क़ौम-धरम का जाम चखा कर, बहका रहे उवैसी।
ममता 'छी-छी' करती घूमे, हालत होती कैसी।।
पत्थर मारो, आग लगाओ, कैसी डेमोक्रैसी।
बे बातों की बात बनायें, उनकी ऐसी-तैसी ।।
२६/१२/१९ ~~~ अजय 'अजेय'।
(१) हैपी क्रिसमस
मदिरा की मस्ती में खोकर, डोल रहे मतवारे।
हैपी होकर हैपी *क्रिसमस, बोल रहे हैं सारे।।
केक बिचारा पूछ रहा है, मेरी ग़लती का रे ?
खुद ख़ुश होकर काट देत हो, मेरी गरदन वा रे !
(२)बे बात की बात
क़ौम-धरम का जाम चखा कर, बहका रहे उवैसी।
ममता 'छी-छी' करती घूमे, हालत होती कैसी।।
पत्थर मारो, आग लगाओ, कैसी डेमोक्रैसी।
बे बातों की बात बनायें, उनकी ऐसी-तैसी ।।
२६/१२/१९ ~~~ अजय 'अजेय'।
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