चौपई छंद
*_(ना)पाकी _* खेल
(१)
चले न उनके कोई दाँव।
जहाँ जाँय खायें बेभाव।।
दिखा रहे अब झूठे ताव।
कहीं डूब ना जाये नाव।।
(२)
बना दिया तुझको परधान।
अब तू दे मुझको वरदान।।
मैंने पीठ खुजा दी ख़ान।
तेरी बारी है तू जान।।
०८/१२/१९ ~अजय 'अजेय'।
(३)
सुनो सुनो आई आवाज।
मौनी बाबा बोले आज।।
नरसिम्हा पर ठेली गाज।
दबे दबे कुछ खोले राज।।
०८/१२/१९ ~अजय 'अजेय'।
(४)
पप्पू जी को उभरी खाज।
चले खुजाने फिर से आज।
कर डाला भारत को नँग।
बलत्कार का देकर ताज।।
०८/१२/१९ ~अजय 'अजेय'।
*_(ना)पाकी _* खेल
(१)
चले न उनके कोई दाँव।
जहाँ जाँय खायें बेभाव।।
दिखा रहे अब झूठे ताव।
कहीं डूब ना जाये नाव।।
(२)
बना दिया तुझको परधान।
अब तू दे मुझको वरदान।।
मैंने पीठ खुजा दी ख़ान।
तेरी बारी है तू जान।।
०८/१२/१९ ~अजय 'अजेय'।
(३)
सुनो सुनो आई आवाज।
मौनी बाबा बोले आज।।
नरसिम्हा पर ठेली गाज।
दबे दबे कुछ खोले राज।।
०८/१२/१९ ~अजय 'अजेय'।
(४)
पप्पू जी को उभरी खाज।
चले खुजाने फिर से आज।
कर डाला भारत को नँग।
बलत्कार का देकर ताज।।
०८/१२/१९ ~अजय 'अजेय'।
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