Sunday 1 December 2019

चित्र लेखन (दोहे) - एकता में बल

चित्र लेखन - एकता में बल...    

                                                   👉🏻

(दोहे) (१)
जरा सहारा जो दिया, छप्पर लिया छवाय।
तिनका तिनका जब जुटे, शक्तिमान हो जाय।।

एक अंगुरिया देखि के, दुश्मन डरे न भाय।
पाँच जोरि मुक्का बने, जो देखे भय खाय।।

बूंँद अकेली नीर की,  प्यास बुझा न पाय।
बू्ँद-बूँद एकत्र हो, लोटा भरि-भरि जाय।।

२९/११/१९।              ~~~अजय'अजेय'।
                                 
                     

चित्र-लेखन - माटी कहे कुँहार से...
(दोहे)

माटी कहे कुँहार से, बंद करो ये झाम।
जीना है यदि चैन से, पकड़ो दूजा काम।।

कहाँ पकाओगे मुझे, ना महुआ ना आम।
बाग बगीचे कट गये, देखन मिले न घाम।।

दीये कौन खरीदता, चीनी लड़ियाँ आम।
रखो चाक यह ताक पर, सुमिरो रक्षक राम।।

तीसी-सरसों न दिखें, खेत बन रहे धाम।
कौन जराये तेल जब, घी से मँहगा पाम।।

ऐ मालिक तज नेह मम्, लो मेरा पैगाम।
मेरी चिंता छोड़कर, कर लो शहर पयाम।।

मैं तो रज इस गाँव की, जी लूँगी हर दाम।
तुमको बालक पालने, लखो आप परिणाम।।


२/२/२०२०    ~अजय 'अजेय'

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