बिन पेंदी का ...
कभी इधर ढुलक कभी उधर लुढक
कभी चौराहे कभी सड़क सड़क
मैं बहुत खाल का मोटा हूँ
मैं बिन पेंदी का लोटा हूँ .
चिट्टा कुरता ,चिट्टा जामा
मैं धवल सजा, शकुनी मामा
मैं मुख भी दूध से धोता हूँ
भाई बिन पेंदी का लोटा हूँ .
"हारे" से मेरा मेल नहीं
जो जीते वह सर्वे-सर्वा
उगते की लुगरी धोता हूँ
भाई बिन पेंदी का लोटा हूँ .
मैं हाथ जोड़ने में माहिर
मैं साथ छोड़ने में माहिर
घडियाली आंसू रोता हूँ
भाई बिन पेंदी का लोटा हूँ .
कड़-कड़ ठंढी को ताप कहूँ
गदहे को भी मैं बाप कहूँ
मैं नाट्य - वस्त्र का गोटा हूँ
भाई बिन पेंदी का लोटा हूँ .
मेरा न कोई ईमान धरम
बस जोड़-तोड़ मेरा है करम
कल तक जिसको गरियाता था मैं आज उसी की ढोता हूँ
भाई बिन पेंदी का लोटा हूँ .
थूकूं , चाटूं , मेरी मर्जी
चाहे मैं बन जाऊं दर्जी
कटपीस जोड़ सरकार सिलूँ
फिर चादर तान के सोता हूँ
भाई बिन पेंदी का लोटा हूँ
है पांच बरस निद्रा मेरी
पलटे चुनाव तो लौटा हूँ
मैं कुम्भकरण का पोता... हाँ हाँ, कुम्भकरण का पोता हूँ
भाई बिन पेंदी का लोटा हूँ .
पहचान गए हो तो बोलो
यदि जान गए हो तो बोलो
इक बड़े देश की बड़ी शक्ति... कानूनों का मैं पोटा हूँ
भाई बिन पेंदी का लोटा हूँ .
27/02/2009 ...अजय
Laajawaab! :) Hame bhi aapki tarah likhna hai... :(
ReplyDeletebahut barhiya.....
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