काँच की "बोतलें"
जल है, जरा सी आग है, थोड़ा सा पवन है
थोड़ा जमीं का अंश है, थोडा सा गगन है
इनको जतन से रखना, तू इनके बिन नहीं
बोतल में क़ैद हैं, मगर ये कोई जिन्न नहीं .
इस कांच की बोतल का मत कोई गुमान कर
दो प्रेम के अल्फ़ाज रख, अपनी जुबान पर
नाजुक बड़ी काया है ये, नाजुक वजूद है
चार दिन की जिन्दगी को ये बोतल भी गिन रहीं
टूटेंगी एक रोज ये , टूटेंगे सब भरम
होगी दफा चमक दमक, रह जायेंगे करम
कल की किसे खबर है, आज की सहेज ले
देख ढल रही है शाम, अब बाकी हैं दिन नहीं .
3 फरवरी 13 ... अजय
जल है, जरा सी आग है, थोड़ा सा पवन है
थोड़ा जमीं का अंश है, थोडा सा गगन है
इनको जतन से रखना, तू इनके बिन नहीं
बोतल में क़ैद हैं, मगर ये कोई जिन्न नहीं .
इस कांच की बोतल का मत कोई गुमान कर
दो प्रेम के अल्फ़ाज रख, अपनी जुबान पर
नाजुक बड़ी काया है ये, नाजुक वजूद है
चार दिन की जिन्दगी को ये बोतल भी गिन रहीं
टूटेंगी एक रोज ये , टूटेंगे सब भरम
होगी दफा चमक दमक, रह जायेंगे करम
कल की किसे खबर है, आज की सहेज ले
देख ढल रही है शाम, अब बाकी हैं दिन नहीं .
3 फरवरी 13 ... अजय
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