राधा-उधो संवाद
( वैलेंटाइन डे का अर्थशास्त्र )
उधो, कैसा प्रेम-शास्त्र ये ...?
प्रेम का केवल एक रोज है ?
बूझो राधे ......अर्थ-शास्त्र है .... ,
दस गुलाब का एक रोज़ (Rose) है।
तुम करती हो प्रेम कृष्ण को
दिन की कोई सीमा ना है ,
दिन निर्धारित करने वालों ...
के मन की अभिलाषा क्या है .
समझो, कौन है इसके पीछे,
जिसने लाखों आज हैं खींचे
प्रेम नहीं मोहताज फूल का ...
करो आज एहसास भूल का।
कार्ड न हों तो स्नेह नहीं हो
ऐसी कोई बात नहीं ...
प्रेम तो तब भी जीवित था ...
जब कृष्ण तुम्हारे साथ नहीं।
14 फरवरी 13 ...अजय
( वैलेंटाइन डे का अर्थशास्त्र )
उधो, कैसा प्रेम-शास्त्र ये ...?
प्रेम का केवल एक रोज है ?
बूझो राधे ......अर्थ-शास्त्र है .... ,
दस गुलाब का एक रोज़ (Rose) है।
तुम करती हो प्रेम कृष्ण को
दिन की कोई सीमा ना है ,
दिन निर्धारित करने वालों ...
के मन की अभिलाषा क्या है .
समझो, कौन है इसके पीछे,
जिसने लाखों आज हैं खींचे
प्रेम नहीं मोहताज फूल का ...
करो आज एहसास भूल का।
कार्ड न हों तो स्नेह नहीं हो
ऐसी कोई बात नहीं ...
प्रेम तो तब भी जीवित था ...
जब कृष्ण तुम्हारे साथ नहीं।
14 फरवरी 13 ...अजय
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