जिक्र जब भी...
(गजल)
जिक्र जब भी, कहीं हुआ तेरा,
नाम अक्सर ही, आ गया मेरा।
तुम तो शामिल रहे, फ़ेहरिश्ते-शहर-हूरों*१ में,
नाम शोहदों*२ में, आ गया मेरा। जिक्र जब भी कहीं...
हर एक शख़्स यहाँ, हाकिम-ए-इजलास*३ हुआ,
किसको फ़ुरसत, जो ले बयां मेरा। जिक्र जब भी कहीं...
खुश रहो तुम, जहां रहो, सदा शादाब*४ रहो,
दे रहा दिल, यही दुआ मेरा। जिक्र जब भी कहीं...
चल पड़ा कारवाँ, मेरा ख़ुदाई-मंज़िल*५ को,
खत्म बस आज से, वाक़िया*६ मेरा। जिक्र जब भी कहीं...
जिक्र जब भी, कहीं हुआ तेरा,
नाम अक्सर ही, आ गया मेरा।
27 जुलाई 2015 ~~~अजय।
* १ शहर की खूबसूरत पारियों की सूची।
२ बदमाश, लोफ़र।
३ अदालत के जज साहब।
४ हरा-भरा, प्रफुल्लित।
५ ईश्वरीय गंतव्य, स्वर्ग।
६ किस्सा।
(गजल)
जिक्र जब भी, कहीं हुआ तेरा,
नाम अक्सर ही, आ गया मेरा।
तुम तो शामिल रहे, फ़ेहरिश्ते-शहर-हूरों*१ में,
नाम शोहदों*२ में, आ गया मेरा। जिक्र जब भी कहीं...
हर एक शख़्स यहाँ, हाकिम-ए-इजलास*३ हुआ,
किसको फ़ुरसत, जो ले बयां मेरा। जिक्र जब भी कहीं...
खुश रहो तुम, जहां रहो, सदा शादाब*४ रहो,
दे रहा दिल, यही दुआ मेरा। जिक्र जब भी कहीं...
चल पड़ा कारवाँ, मेरा ख़ुदाई-मंज़िल*५ को,
खत्म बस आज से, वाक़िया*६ मेरा। जिक्र जब भी कहीं...
जिक्र जब भी, कहीं हुआ तेरा,
नाम अक्सर ही, आ गया मेरा।
27 जुलाई 2015 ~~~अजय।
* १ शहर की खूबसूरत पारियों की सूची।
२ बदमाश, लोफ़र।
३ अदालत के जज साहब।
४ हरा-भरा, प्रफुल्लित।
५ ईश्वरीय गंतव्य, स्वर्ग।
६ किस्सा।
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