करगिल विजय दिवस पर...
(कुण्डलिया छंद)
आ धमके नापाक अरि, करि करगिल में घात।
उन्निस सौ निन्यानबे, बात हुई यह ज्ञात।।
बात हुई यह ज्ञात, इरादे नेक न उनके।
छेंके आ कर बँकर, छल से ताने बुनके।।
भागे पूँछ दबाय, गिरे जब गोले जमके।
धर दोज़ख की राह, गये जो थे आ धमके।।
26/7/23 ~अजय 'अजेय'।