लापरवाही
(चौपाई छंद)
छूट मिली तो बाहर आने,
केतनो कहिये बात न मानें।
मुख पर सही मास्क न डारें,
घूमें खुल्ला दाँत चियारें।।
सुने न कोई टोकें कैसे,
लहर तीसरी रोकें कैसे।
बैद-विशारद सब समझावें,
तब्बौ जनता सब बिसरावें।।
आयी थी जब दुसर लहरिया,
मरत रहें जन घरै-दुअरिया।
त्राहि-त्राहि हम करन लगे थे,
गाँठ बाँधि सब धरन लगे थे।।
मिली ढिलाई रास न आवै,
मना करौ पर भीर लगावैं।
आँखें मूँद करें मनमानी,
तीजी लहर बुलाना ठानी।।
23/6/21 ~अजय 'अजेय'।
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