Sunday 6 October 2019

गीतिका छंद - बात अब कहना जरूरी

बात अब कहना जरूरी...
(लाललाला, लाललाला, लाललाला, लालला)
[१]
नासमझ बन आज तक, पुचकारते जिनको रहे,
देख तो लो चाहते वे, राज से किसको रहे।
नींद से जगना जरूरी, हो गया अब दोस्तों,
बात अब कहना जरूरी, हो गया है दोस्तों।।
[२]
नैन जब उनके झुके तो, छूरियाँ दिल पर चलीं,
होंठ होंठों से मिले तो, खिल गयी दिल की कली।
छू गयी थी जो हवा, उस रोज उनकी देह को,
लौट फिर आती, मचा जाती, जहन में खलबली।।

०६/१०/१९.                      ~अजय 'अजेय'।        

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