विधाता छंद - दिखावा... 👉
(१)
जहाँ सब साफ़ होता है,वहाँ झाड़ू घुमाते हो,
सिर्फ फोटो खिंचाने के,लिए नाटक रचाते हो।
सही करनी सफाई हो,चले आओ पटरियों पर,
लगा अंबार कूड़े का,यहाँ हरगिज़ न आते हो।।
(२)
तमाशा,खेल, ये सारा,दिखाकर फूट लेते हैं,
हिला कर झूठ की कूँची,प्रशंसा लूट लेते हैं।
नहीं हमको शिकायत है किसी की नेक नीयत से,
मगर झूठे को* अदरक की तरह भी कूट देते हैं।।
(*मात्रा पतन)
०५/१०/१९ ~अजय 'अजेय'।
(१)
जहाँ सब साफ़ होता है,वहाँ झाड़ू घुमाते हो,
सिर्फ फोटो खिंचाने के,लिए नाटक रचाते हो।
सही करनी सफाई हो,चले आओ पटरियों पर,
लगा अंबार कूड़े का,यहाँ हरगिज़ न आते हो।।
(२)
तमाशा,खेल, ये सारा,दिखाकर फूट लेते हैं,
हिला कर झूठ की कूँची,प्रशंसा लूट लेते हैं।
नहीं हमको शिकायत है किसी की नेक नीयत से,
मगर झूठे को* अदरक की तरह भी कूट देते हैं।।
(*मात्रा पतन)
०५/१०/१९ ~अजय 'अजेय'।
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