तन्हाई की घड़ियों में.......
Thursday, 3 December 2015
विरह के पल...
विरह के पल
...
विरहन की है कामना बिलखती सी,
विरह की है वेदना झलकती सी,
तनहाई की चुभन भरी खामोशियाँ,
कोरे पन्नों पर कविताएं छलकती सी।
03 दिसंबर 2015
~~~अजय।
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment