Wednesday, 23 March 2022

गिरगिटी सपने

(चौपई छंद)
गिरगिटी सपने

कुछ दिन पहले की है बात।
छोड़ गये थे गिरगिट साथ।।
कोई सइकिल पर चढ़ जात।
कोई चला थामने हाथ।।

बदले थे गिरगिट जो रंग।
देख रहे, जनमत हो दंग।।
बहस रहे थे कसते व्यंग।
हुये मुँगेरी सपने भंग।।

10/3/22  ~अजय 'अजेय'।
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