विश्व हिन्दी दिवस-१० जनवरी पर मेरी रचना राष्ट्रभाषा को समर्पित
हिन्दी हमारी...
जुड़े नहीं जो तार वही, मैं आज मिलाने आया हूँ।
अब तक नहीं पढ़े जो तुम, अखबार पढ़ाने आया हूँ।।
"दिवस विश्व-हिन्दी" का मैं, त्यौहार मनाने आया हूँ।
चलो मातृभाषा का मैं रखवार बनाने आया हूँ।।
अंग्रेजी बस गिट-पिट गिट-पिट, हिन्दी घर की भाषा है।
घरवाले ही भूले इसको, कैसा खेल-तमाशा है।।
किसको दें हम दोष यहाँ पर, गहरी बढ़ी निराशा है।
लेकिन कैसे हार मान लूँ, मुझको अब भी आशा है।।
योगदान यदि करो जरा तुम,परचम ये लहरायेगी।
पाँच मात्रा वालों को यह, पल में धूल चटायेगी।।
मातृभूमि में माता-भाषा जब दुलार पा जायेगी।
है सशक्त यह भाषा मेरी, "विश्व-भाष" बन जायेगी।।
१०/०१/२० ~अजय 'अजेय'।
हिन्दी हमारी...
जुड़े नहीं जो तार वही, मैं आज मिलाने आया हूँ।
अब तक नहीं पढ़े जो तुम, अखबार पढ़ाने आया हूँ।।
"दिवस विश्व-हिन्दी" का मैं, त्यौहार मनाने आया हूँ।
चलो मातृभाषा का मैं रखवार बनाने आया हूँ।।
अंग्रेजी बस गिट-पिट गिट-पिट, हिन्दी घर की भाषा है।
घरवाले ही भूले इसको, कैसा खेल-तमाशा है।।
किसको दें हम दोष यहाँ पर, गहरी बढ़ी निराशा है।
लेकिन कैसे हार मान लूँ, मुझको अब भी आशा है।।
योगदान यदि करो जरा तुम,परचम ये लहरायेगी।
पाँच मात्रा वालों को यह, पल में धूल चटायेगी।।
मातृभूमि में माता-भाषा जब दुलार पा जायेगी।
है सशक्त यह भाषा मेरी, "विश्व-भाष" बन जायेगी।।
१०/०१/२० ~अजय 'अजेय'।
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