गीतिका छंद
१. जै जवान जै किसान...
पूस की शीतल हवा से, हाड़ हिलने लग गये।
बर्फ की चादर बिछी, लीहाफ़ सिलने लग गये।।
जै किसानों जै जवानों, तुम डटे जो काम पर।
आमजन से आपको आदाब मिलने लग गये।।
८/१/२० ~अजय 'अजेय'।
२. विद्या संस्थान के हंगामे...
पाट कर के खाइयाँ गर, साथ दो तो राह है।
हाथ हाथों में रहें ये,आम जन की चाह है।।
बात सब ने आप की थी, आपको कहने दिया।
लाठियों ने कब किसी को, चैन से रहने दिया।
८/१/२० ~~~अजय 'अजेय'।
३. जे एन यू के शिक्षार्थी से...
याद है जब तुम गये थे गाँव घर को छोड़कर।
छोड़कर के ज्ञान राहें खो गये किस मोड़ पर।।
भूल मत जाना पिता जी के सजाये खाब को।
फीस के पैसे भिजाए हड्डियों कोै तोड़कर।।
८/१/२० ~अजय 'अजेय'।
१. जै जवान जै किसान...
पूस की शीतल हवा से, हाड़ हिलने लग गये।
बर्फ की चादर बिछी, लीहाफ़ सिलने लग गये।।
जै किसानों जै जवानों, तुम डटे जो काम पर।
आमजन से आपको आदाब मिलने लग गये।।
८/१/२० ~अजय 'अजेय'।
२. विद्या संस्थान के हंगामे...
पाट कर के खाइयाँ गर, साथ दो तो राह है।
हाथ हाथों में रहें ये,आम जन की चाह है।।
बात सब ने आप की थी, आपको कहने दिया।
लाठियों ने कब किसी को, चैन से रहने दिया।
८/१/२० ~~~अजय 'अजेय'।
३. जे एन यू के शिक्षार्थी से...
याद है जब तुम गये थे गाँव घर को छोड़कर।
छोड़कर के ज्ञान राहें खो गये किस मोड़ पर।।
भूल मत जाना पिता जी के सजाये खाब को।
फीस के पैसे भिजाए हड्डियों कोै तोड़कर।।
८/१/२० ~अजय 'अजेय'।
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