चित्र लेखन (कुण्डलियाँ छंद)
चित्र-लेखन (कुंडलियाँ)...
गमले का पौधा हरा,दिया सड़क पर रोय।
नफ़रत की आँधी जगी,भाई-चारा खोय।।
भाई-चारा खोय,शहर का खूनी मंजर।
कैसे पनपे पौध,जहाँ दिल ही हों बंजर।।
कह अजेय कविराय,पड़ा है विधि मुँह औंधा।
लखि गलियों के हाल,दुखी गमले का पौधा।।
६/३/२०२० ~अजय 'अजेय'।
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