अबकी सावन में...
(भोजपुरी रचना)
भींजी चुनरिया हमार....
अबकी... सावन में
अईहें सजन जी हमार ....
अबकी... सावन में।
जाड़ा भर उनके खबरियो ना आई
कबो चदरा, कबो ओढ़लीं रजाई,
आ गईली बरखा बहार....
अबकी... सावन में,
भींजी चुनरिया हमार....
अबकी... सावन में।
जेठवा की गरमी से जिया ऊबियाइल
चैन नाही आवे, हमार मन अकुलाइल,
अब आई रिमझिम फुहार....
अबकी... सावन में,
भींजी चुनरिया हमार....
अबकी... सावन में।
29 जुलाई 2013 ...अजय।
(भोजपुरी रचना)
भींजी चुनरिया हमार....
अबकी... सावन में
अईहें सजन जी हमार ....
अबकी... सावन में।
जाड़ा भर उनके खबरियो ना आई
कबो चदरा, कबो ओढ़लीं रजाई,
आ गईली बरखा बहार....
अबकी... सावन में,
भींजी चुनरिया हमार....
अबकी... सावन में।
जेठवा की गरमी से जिया ऊबियाइल
चैन नाही आवे, हमार मन अकुलाइल,
अब आई रिमझिम फुहार....
अबकी... सावन में,
भींजी चुनरिया हमार....
अबकी... सावन में।
29 जुलाई 2013 ...अजय।
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