<(रुचिरा छंद)
किसान और आंदोलन
थे किसान पर सड़कों पर ही,
खेती करते साल गया।
किसे पता है इसके पीछे,
किस बंदे का माल गया।
कितना डीज़ल जला रात दिन,
कितना धन बरबाद हुआ।
कोई तो बतलाओ यारों,
किसका चावल-दाल गया।
कौन कौन थे किसके पीछे,
खेल कौन था चाल गया।
21/12/21 ~अजय 'अजेय'।>
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