*_महाशिवरात्रि के शिव_*
(सरसी छंद)
मंदिर मंदिर भीर लगी है, शिव जी रहे नहाय।
कोई जल से नहलाता है, कोई दूध चढ़ाय।
दही लिपाये कोई लेकर, कोई बेर खिलाय।
कोई लाया भाँग-धतूरा, कोई शहद चटाय।
भोले-भाले भोले बाबा, सबको रहे लुभाय।
राजा रंक सभी के भोले, पल में जात रिझाय।
सबसे अलग देवता मेरो, अड़भंगी कहलाय।
सर पर गंगा चाँद भाल पर, साँप गले लटकाय।
10/03/21 ~अजय 'अजेय'।
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