टीस भरा सन्देश
एक दर्द झलकता है, इस सन्देश में परम
कुछ प्रश्न कचोटते से, हो चले हैं अब अहम्
किसकी तरफ हो आस लगाकर के देखते ?
इस मर्ज़ की दवा भी तो खोजेंगे आप हम .
सरकार कौन है ? ये जरा ध्यान कीजिये ,
अपने विचार में जरा बयान कीजिये ,
हम जैसा ही कोई है जो कुर्सी में बैठा है ,
और पाले बैठा है न जाने कौन से वहम .
बदलेगी ये तस्वीर जब सब खुद को आंक लें .
औरों की छोड़, अपने गिरेबान झाँक लें,
भाई भतीजावाद और कुर्सी की न हो बात .
जहाँ दांव पर लगा हो मेरे देश का भरम .
26 जनवरी 2013 ....अजय
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