Wednesday, 6 September 2023
ईश्वर
(विजात छंद)
ईश्वर एक है
इसे सुनिये उसे सुनिये,
जिसे चाहे उसे चुनिये।
वही है एक हम सबका,
उसी बस एक को गुनिये।।
रहीमो राम भी वह है,
तथा घनश्याम भी यह है।
रहे यदि मेल अपनों में,
नहीं कुछ भी भयावह है।।
9/2/23 ~अजय'अजेय'।
प्रेयसी
(चित्र-लेखन - विधाता छंद)
प्रेयसी
रही हूँ कर झुकी पलकों, तले से आज अभिवादन।
उठा कर माँग का टीका, भरो सिंदूर ऐ साजन।।
रखूँगी मान आजीवन, हृदय से कर लिया वादा।
निभाऊँगी धर्म अपना, निछावर कर तुझे तन मन।।
जहाँ भी ले चलोगे तुम, वहाँ मैं साथ आऊँगी।
जहाँ तुम राग छेड़ोगे, वहाँ मैं गीत गाऊँगी।।
लबों की बाँसुरी हूँ मैं, सदा सुर से सजाना तुम।
हमें जो मोह में बाँधे, वही बस धुन बजाना तुम।।
12/02/23 ~अजय 'अजेय'।
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