Wednesday 4 August 2021

नाटकबाज


नाटकबाज
(चौपाई छंद)

तर्क नहीं जब आता करना,
सबसे बढ़िया दे दें धरना।
बिना बात के भाषण करना,
छननी में जस पानी भरना।।

बुनते रहते ताना-बाना,
इनको बस इल्ज़ाम लगाना।
झाँकें कभी न घर के भीतर,
मान देश का सदा गिराना।।

पल में बहियाँ गले डारते,
भरी सभा में आँख मारते।
मर्यादा की फिकर न इनको,
छीन हाथ से 'मान' फारते।।

सरकारी खरचा करवा दें,
पर संसद को चलने ना दें।
बैठ सायकिल फिरें सड़क पर,
नाटक करने चढ़ें ट्रैक्टर।।
3/8/21       ~अजय 'अजेय'।

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