पुरानी चवन्नी ...
यार देखो हैं कैसे, दीवाने भले ...
ले पुरानी चवन्नी भुनाने चले।
कर में दर्पण, और स्याही, विशाल तूलिका ...
आज कुदरती सफेदी छुपाने चले।
कहीं पोल करीबी से, कभी खुल ही न जाय ...
नयन दूर - दूर ही से लड़ाने चले।
बुढ़ाता सा गाल, क्रीम से, नहला - धुला लिया ...
कागजी अब जवानी जताने चले।
चुगलियाँ, बढ़ा उदर चाहे जितनी करे ...
कमर-पट्टी से चौड़ी दबाने चले।
इतने में कहीं पीछे, पटाखा बजा ...
भाग कर अपना जीवन बचाने चले।
सांस उखड़ने लगी, हाँफने लग पड़े ...
हाले दिल अपना जब वो बताने चले।
जो उजाला सफेदी के संग आया है ...
हैं सियाही में क्यों हम डुबाने चले।
बूढ़ी घोड़ी जवाँ, कैसे होगी भला ...
उल्टी गंगा हैं क्यों हम बहाने चले।
25 अप्रैल 13 ...अजय.
यार देखो हैं कैसे, दीवाने भले ...
ले पुरानी चवन्नी भुनाने चले।
कर में दर्पण, और स्याही, विशाल तूलिका ...
आज कुदरती सफेदी छुपाने चले।
कहीं पोल करीबी से, कभी खुल ही न जाय ...
नयन दूर - दूर ही से लड़ाने चले।
बुढ़ाता सा गाल, क्रीम से, नहला - धुला लिया ...
कागजी अब जवानी जताने चले।
चुगलियाँ, बढ़ा उदर चाहे जितनी करे ...
कमर-पट्टी से चौड़ी दबाने चले।
इतने में कहीं पीछे, पटाखा बजा ...
भाग कर अपना जीवन बचाने चले।
सांस उखड़ने लगी, हाँफने लग पड़े ...
हाले दिल अपना जब वो बताने चले।
जो उजाला सफेदी के संग आया है ...
हैं सियाही में क्यों हम डुबाने चले।
बूढ़ी घोड़ी जवाँ, कैसे होगी भला ...
उल्टी गंगा हैं क्यों हम बहाने चले।
25 अप्रैल 13 ...अजय.