सपना अपना-अपना...
हर शख्स सिर्फ अपना है
हर घड़ी हर पल वह सिर्फ अपना है
क्यों नहीं समझता मैं इस तथ्य को
क्यों समझाना चाहता हूँ मैं अपनी बात किसी अन्य को
पर जब भी ऐसा करता हूँ , मैं यह भूल जाता हूँ
खता उसकी नहीं, मेरी ही है क्योंकि......
उसका नजरिया उसका अपना और मेरा अपना है
सबका अपना सपना है
हर शख्स सिर्फ अपना है
10 अप्रैल 93 ...अजय
हर शख्स सिर्फ अपना है
सबका अपना सपना है
औरों को समझे कोई इतना वक़्त ही नहींहर घड़ी हर पल वह सिर्फ अपना है
क्यों नहीं समझता मैं इस तथ्य को
क्यों समझाना चाहता हूँ मैं अपनी बात किसी अन्य को
पर जब भी ऐसा करता हूँ , मैं यह भूल जाता हूँ
खता उसकी नहीं, मेरी ही है क्योंकि......
उसका नजरिया उसका अपना और मेरा अपना है
सबका अपना सपना है
हर शख्स सिर्फ अपना है
10 अप्रैल 93 ...अजय
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