तन्हाई की घड़ियों में.......
Thursday, 14 July 2022
शेर पर बवाल
शेर पर बवाल
(विधाता छंद)
कभी वह मुस्कुराता था, तभी वह शेर होता था।
मक्खियाँ छेड़ जाती थीं, गुफ़ा में बैठ रोता था।।
दहाड़ा है गर्जना कर, वतन का शेर जागा है।
गर्जना से दहल जागा, नयन मूँदे जो* सोता था।।
13/7/22 ~अजय 'अजेय'।
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment