Thursday 11 November 2021

छठ पूजा पर

(दुर्मिल सवैया छंद)
(1) छठ पूजा पर

पत्नी पति से कहतीं सजना, कब आवत हो छठ आय गयी।
तुम आ न सके पछिले हफ्ते, मन दीपक जोत जराय गयी।
छठ पूजन में नहिं छूट तुहें, दउरा फल, सूप मँगाय लयी।
फटही सरिया नहिं घाट चलूँ, नवकी सरिया ह किनाय लयी।।
10/11/21                             ~अजय 'अजेय'।

(2) बिरह निवेदन 
पत्नी पति से कहती सुनिये, अब आप घरे कब आय रहे।
जस भूलि गए अपने जन को, हमको अस खूब सताय रहे।
जब आय रहे पिछले बरिसौं, मनको तुम खूब लुभाय रहे।
कुछ भूल भई हमसे जदि तो, अब  माफ करो सिर नाय रहे।।

मन आकुल है अब लौटि परो, हम कान धरै लखते रहिया।
करि याद रहे बचवा-बचिया, मन भाय न दूध न ही दहिया।
तुमसे हमरी मुस्कान सजे, तुमसे हरषाय हमार जिया।
तुम जीवन के इन्जन सम हो, हम हैं जिसके पन्चर पहिया।।
11/11/21                       ~अजय 'अजेय'।

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