वो आ रहे हैं मिलने...
कोई कर दे ख़बर जाकर, ख़बर-नवीस को,
वो आ रहे हैं मिलने, मुझसे पचीस को।
जब से मिली खबर ये, दिल बाग-बाग है,
मैं जानूँ कि, शायद ये खबर है अनीस को।
हम देखते हैं रहे जो, आँखों मे भर के ख़्वाब,
सच कर के दिखाएंगे, वे खुद से पचीस को।
हमने बसर किए हैं, तन्हाइयों के दिन,
आसान वो कर देंगे, आकर अवीस को।
ईमान कि कसम, बस हमको उनसे प्यार है,
कर लो यकीनाज ऐलान-ए-अफीफ़ को।
24 जुलाई 14 ...अजय।
(खबर नवीस=संवाददाता,अनीस=दोस्त,
अवीस=मुश्किल, अफीफ़=पत्नीव्रत)
कोई कर दे ख़बर जाकर, ख़बर-नवीस को,
वो आ रहे हैं मिलने, मुझसे पचीस को।
जब से मिली खबर ये, दिल बाग-बाग है,
मैं जानूँ कि, शायद ये खबर है अनीस को।
हम देखते हैं रहे जो, आँखों मे भर के ख़्वाब,
सच कर के दिखाएंगे, वे खुद से पचीस को।
हमने बसर किए हैं, तन्हाइयों के दिन,
आसान वो कर देंगे, आकर अवीस को।
ईमान कि कसम, बस हमको उनसे प्यार है,
कर लो यकीनाज ऐलान-ए-अफीफ़ को।
24 जुलाई 14 ...अजय।
(खबर नवीस=संवाददाता,अनीस=दोस्त,
अवीस=मुश्किल, अफीफ़=पत्नीव्रत)
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