Tuesday, 31 December 2013

धन्य कुर्सिया....

धन्य कुर्सिया...

मैं मीरा, तुम श्याम, कुर्सिया...

मैं मीरा तुम श्याम ।

आनि परो, मोरी झोरी में,

कछु न मिले जोरा-जोरी में,
जपहुँ नित्य तव नाम, कुर्सिया...
मैं मीरा तुम श्याम...
मैं मीरा, तुम श्याम कुर्सिया,
मैं मीरा तुम श्याम।

भांति-भांति की, काया तोरी,

जानत हैं सब, माया तोरी,
भांति-भांति के दाम, कुर्सिया...
मैं मीरा तुम श्याम...
मैं मीरा, तुम श्याम कुर्सिया,
मैं मीरा तुम श्याम।

आजीवन, तुम्हरे गुण गाउँ,

तोहरे आगे, शीश नवाऊँ,
निशि-दिन करूँ सलाम, कुर्सिया...
मैं मीरा तुम श्याम...
मैं मीरा, तुम श्याम कुर्सिया,
मैं मीरा तुम श्याम।

ग्वाल-बाल सब, फेर परे हैं,

दिवस-राति, सब एक करे हैं,
कइसहुँ बनि जाये काम, कुर्सिया...
मैं मीरा तुम श्याम...
मैं मीरा, तुम श्याम कुर्सिया,
मैं मीरा तुम श्याम।

मैं तुम्हरी,चुनरी सजवा दूँ,

भव्य एक मंदिर बनवा दूँ,
आनि बसो मोरे ग्राम,कुर्सिया...
मैं मीरा तुम श्याम...
मैं मीरा, तुम श्याम कुर्सिया,
मैं मीरा तुम श्याम।

धारक तोहरे,खूब सोहाते,

मूरख भी, पंडित बन गाते,
जाकर तोहरे धाम, कुर्सिया...
मैं मीरा तुम श्याम...
मैं मीरा, तुम श्याम कुर्सिया,
मैं मीरा तुम श्याम।

तुम हो तो, जीवन में क्या कम,

दूर जात सब कष्ट, दरद, गम,
शत- शत तुम्हें प्रणाम, कुर्सिया...
मैं मीरा तुम श्याम...
मैं मीरा, तुम श्याम कुर्सिया,
मैं मीरा तुम श्याम।

30 दिसंबर 13     ~अजय 'अजेय'।

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