धर्म या ढोंग ...?
यह धर्म है ?... तो क्या हो अधर्म बोलिए,
प्रवचन-भजन की आड़ में कुकर्म बोलिए।
पावन, सनातनी पहन के धर्म का चोला,
कोयल की मधुर धुन में, है काग जो बोला,
छद्म-वेशधारियों को तो बेशर्म बोलिए,
प्रवचन-भजन की आड़ में कुकर्म बोलिए,
यह धर्म है ?... तो क्या हो अधर्म बोलिए।
इंसान है शैतान बन गया गुरूर में,
है फिर रहा मदहोश हो के वह सुरूर में,
जो शैतान बन गए हैं उनके राज खोलिए,
प्रवचन-भजन की आड़ में कुकर्म बोलिए,
यह धर्म है ?... तो क्या हो अधर्म बोलिए।
कैसे करेगा भरोसा कोई किसी पे कल ?
सन्यासियों के मन भी अगर हो रहे चंचल,
क्यों भई ढोंग की हवा है गर्म बोलिए,
प्रवचन-भजन की आड़ में कुकर्म बोलिए,
यह धर्म है ?... तो क्या हो अधर्म बोलिए।
22 नवंबर 2013 ...अजय।
यह धर्म है ?... तो क्या हो अधर्म बोलिए,
प्रवचन-भजन की आड़ में कुकर्म बोलिए।
पावन, सनातनी पहन के धर्म का चोला,
कोयल की मधुर धुन में, है काग जो बोला,
छद्म-वेशधारियों को तो बेशर्म बोलिए,
प्रवचन-भजन की आड़ में कुकर्म बोलिए,
यह धर्म है ?... तो क्या हो अधर्म बोलिए।
इंसान है शैतान बन गया गुरूर में,
है फिर रहा मदहोश हो के वह सुरूर में,
जो शैतान बन गए हैं उनके राज खोलिए,
प्रवचन-भजन की आड़ में कुकर्म बोलिए,
यह धर्म है ?... तो क्या हो अधर्म बोलिए।
कैसे करेगा भरोसा कोई किसी पे कल ?
सन्यासियों के मन भी अगर हो रहे चंचल,
क्यों भई ढोंग की हवा है गर्म बोलिए,
प्रवचन-भजन की आड़ में कुकर्म बोलिए,
यह धर्म है ?... तो क्या हो अधर्म बोलिए।
22 नवंबर 2013 ...अजय।