Monday 20 June 2016

'योग' बनाम 'योगा'

'योग' ही रहने दो 'योगा' न बनाओ... 

अ को 'अ' ही रहने दो.... यूं  'आ' न बनाओ, 
योग को 'योग' रहने दो....'योगा' न बनाओ।

मैंने कब इंग्लैंड को 'इंग्लैंडा', ब्रिटेन को 'ब्रिटेना' कहा, 

मेरे हिन्द को 'हिन्द' ही रहने दो, 'इंडिया' न बनाओ।

अंग्रेजीयत का प्रदर्शन करने वालों से कोई जलन नहीं,

मगर मेरे 'महाराष्ट्र' को..... 'महाराष्ट्रा' न बनाओ। 

मुझे प्यार है असीम.... मेरी भाषा के शब्दों से,

आंध्र को 'आंध्र' ही रहने दो... 'आंध्रा' न बनाओ। 

कभी 'अकबर' को 'अकबरा', 'माइकल' को 'माइकला' न कहा,

अशोक को भी 'अशोक' रहने दो... 'अशोका'न बनाओ।

मैंने बाइबल को 'बाइबल', कुरान को 'कुरान' ही रहने दिया,

तुम भी रामायण को 'रामायण' कहो 'रामायना' न बनाओ।

हिन्द ने जीसस को 'जीसस', मोहम्मद को 'मोहम्मद' ही रखा,

तो राम को भी 'राम' ही रहने दो ... 'रामा' न बनाओ।

मैंने हर नाम का सम्मान, हर भाषा की इज्ज़त की है,

तो फिर नरेन्द्र को 'नरेन्द्र' रहने दो, 'नरेन्द्रा' न बनाओ। 

योग-दिवस की पूर्व संध्या पर, पुनः निवेदन है मेरा,

मेरे योग को 'योग' ही पुकारो, 'योगा' न बनाओ। 

20 जून 2016                                  ~अजय'अजेय'

Saturday 11 June 2016

इश्क़ के सदके...

इश्क़ के सदके में...


इश्क़ के सदके में कुछ झुकना जरूरी है,  

दी किसी ने है सदा, रुकना जरूरी है।


छोड़ कर पीछे उन्हें कैसे बढ़ाएँ हम कदम,


कारवाँ की रीत है....... रुकना जरूरी है। 



रुक गए हैं हम तुम्हारी बात को सुनकर, 

अब हमारी बात भी सुनना जरूरी है।


वह दिखाता है वही जो वास्तव मे है,

उसको यारों "आईना" कहना जरूरी है॥


10/06/2016                     ~~~अजय।

Wednesday 8 June 2016

'मैं' जब "हम" में बदल जायेगा

मैं जब हम में बदल जायेगा...

'मैं' जब 'हम' में बदल जायेगा,
सामने खड़ा पाषाण भी पिघल जायेगा।
दो बूंद प्रेम के अल्फ़ाज में रख,
शिकवों का पहाड़ भी गल जायेगा।
कितने दोस्त बिछड़े, 'मेरे' 'मैं' की दौड़ में,
'हम' से जुड़ कर देख, पीछे कारवाँ चल जाएगा। 
'मैं','मेरा', 'तू','तेरा'... 'हम' को तोड़ता रहा,
'अहं' नकार दीजिये, 'हम' स्वयं ही पल जाएगा।
'मैं' 'मैं' करते गुजार दी, जवानी अगर,
बुजुर्गियत के साथ... हाथ हाथ से फिसल जाएगा॥ 

07/06/16                                     ~~~अजय।