चक्रव्यूह का घेरा
राग अलापें गर्दभ सारे, ये सिंहासन मेरा है।
ये दे दूँगा वो दे दूँगा, नित नव चित्र उकेरा है।।
फेर रहे जो माला समझो, ये वोटों का फेरा है।
झाँसे में मत आना यारों, चक्रव्यूह का घेरा है।।
24/5/24 ~अजय 'अजेय'।