मतदान आ गया
(शैल छंद)
आ गया।
आज है, छा गया।
है नशा, है नहीं, जो नया।
वोट की बात है नोट की है दया।
राम हो नाम हो काम के जोर पर हो जया।
15/4/24 ~अजय 'अजेय'।
मतदान आ गया
(शैल छंद)
आ गया।
आज है, छा गया।
है नशा, है नहीं, जो नया।
वोट की बात है नोट की है दया।
राम हो नाम हो काम के जोर पर हो जया।
15/4/24 ~अजय 'अजेय'।
कोहरे का कोहराम
सर्दी ने सिरदर्दी दे दी,
कोहरे ने कोहराम,
घर से न तुम बाहर निकलो,
वर्ना धरे जुखाम।
बचना घोर कहर से तो,
फिर सुनलो यह पैगाम,
ओढ़ि चदरिया घर में बैठो,
बोलो जय श्रीराम....
बोलो राम राम राम,
बोलो राम राम राम,
बोलो राम राम राम,
जै सियाराम जै जै सियाराम।।
13/1/24 ~अजय 'अजेय'।।
छद्म खबरें बनाम साजिशें
छद्म खबरों से पटे अखबार साथियों,
साजिशों का गर्म है बाजार साथियों।
बाँटकर हमको मिटाना चाहते हैं लोग,
छाँट लो गुल में छिपे हैं खार साथियों।।
रात दिन भरमा रहे वे वोट की खातिर,
लड्डुओं के थाल थामे चोट की खातिर।
देशहित को रख दिया है ताक के ऊपर,
खेल सारा खेलते कुछ नोट की खातिर।।
जाति गणना चाहते हैं किस इरादे से ?
खेल यह कठपुतलियों का है 'पियादे' से।
कुंभकरणी नींद से जगना जरूरी अब,
एकजुट हो कर न हारें गैर-जादे से।।
25/8/24 ~अजय 'अजेय'।