दौर चुनावी ...
तीर चल रहे आरोपों के,
सीना छलनी करते हैं।
सच्चाई का पता नहीं है,
नये नये नित गढ़ते हैं।।
जनता भी गूंँगी बहरी सी,
सब कुछ ही सह लेती है।
जैसे राग बजा दे टीवी,
वैसे ही बह लेती है।।
कौन सही है कौन गलत है,
किस पर हम विश्वास करें।
हर चेहरा यूँ ब-नकाब है,
किससे कैसी आस करें।।
हर मतदाता उलझन में है,
किस पर अपना हाथ धरे।
किसको वह विजयी भव बोले,
मन से किसका साथ धरे।।
आओ मैं उलझन सुलझा दूँ,
मोहर वहीं लगाना तुम।
जो भारत के हित की सोचे,
विजयी उसे बनाना तुम।।
अपनी अपनी गाय रहे सब,
सच्चे की पहचान करो।
जाति धर्म का भेद भुलाकर,
देशी को मतदान करों।।
20मई 19 ~~~ अजय 'अजेय'।
तीर चल रहे आरोपों के,
सीना छलनी करते हैं।
सच्चाई का पता नहीं है,
नये नये नित गढ़ते हैं।।
जनता भी गूंँगी बहरी सी,
सब कुछ ही सह लेती है।
जैसे राग बजा दे टीवी,
वैसे ही बह लेती है।।
कौन सही है कौन गलत है,
किस पर हम विश्वास करें।
हर चेहरा यूँ ब-नकाब है,
किससे कैसी आस करें।।
हर मतदाता उलझन में है,
किस पर अपना हाथ धरे।
किसको वह विजयी भव बोले,
मन से किसका साथ धरे।।
आओ मैं उलझन सुलझा दूँ,
मोहर वहीं लगाना तुम।
जो भारत के हित की सोचे,
विजयी उसे बनाना तुम।।
अपनी अपनी गाय रहे सब,
सच्चे की पहचान करो।
जाति धर्म का भेद भुलाकर,
देशी को मतदान करों।।
20मई 19 ~~~ अजय 'अजेय'।