अक्षत तुम्हारे नाम ...
है क्षत-विक्षत हृदय का...अक्षत तुम्हारे नाम।
लिखा इनको कभी हमने, खयालों की कलम से था,
शब्द लब पर नहीं आए...मेरी आँखों मे था कलाम।
तुम पढ़ भी लेते थे, बस खामोश नज़रों से,
और चल दिया करते थे, बिना जिक्र बिना दाम।
रुसवा भी कर गए हमें , तुम दे के अपना नाम,
जमाने की मुसकानों में, मेरे दर्द का पयाम।
लो पढ़ लो, जो भेजे नहीं थे, ख़त तुम्हारे नाम,
है क्षत-विक्षत हृदय का...अक्षत तुम्हारे नाम।
*1.दाम = value, भाव 2.पयाम = संदेश, पैगाम
15 अप्रैल 2015 ...अजय।